लखनऊ जिले में एडीजे प्रथम कोर्ट ने एक तीन साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में महज पांच दिन में सुनवाई पूरी कर मिसाल पेश की है। कोर्ट ने आरोपी युवक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बागपत जनपद में तीन साल की मासूम चचेरी बहन से दुष्कर्म के मामले में रिकॉर्ड पांच दिन में सुनवाई पूरी कर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं पॉक्सो एक्ट में पांच दिन में फैसला आने का यह देश का पहला मामला कहा जा रहा है, यानी ऐसा फैसला जिसमें महज पांच दिन की सुनवाई के बाद छठे दिन फैसला आ गया। इससे पहले पॉक्सो एक्ट के मामले में औरेया की अदालत ने नौ दिन में फैसला सुनाया गया था। छपरौली थाना क्षेत्र के एक गांव में 13 सितंबर को तीन साल की बच्ची को उसका तहेरा भाई नमकीन दिलाने के बहाने घर से ले गया था। युवक ने जंगल में ले जाकर बच्ची से दुष्कर्म किया था। पुलिस ने आरोपी को दिल्ली से 29 अक्तूबर को गिरफ्तार किया और 30 अक्तूबर को जेल भेजा था। विवेचक छपरौली थानाध्यक्ष दिनेश कुमार चिकारा ने 15 नवंबर को अदालत में चार्जशीट दाखिल की। एडीजे प्रथम विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम शैलेंद्र पांडेय की कोर्ट में 25 नवंबर को आरोप तय किए। डीजीसी सुनील कुमार और एडीजीसी राजीव कुमार ने बताया कि केस की रोजाना सुनवाई हुई। 29 नवंबर को पांच दिन में केस की सुनवाई पूरी हो गई। शनिवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी युवक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। देश में कई बार ऐसा भी हुआ कि देर रात तक न्यायाधीश न्यायालय में बैठे और निर्णय दिए ।
बलात्कार हो या भ्रष्टाचार के मामले इनकी जांच के लिए अलग टीम हो और विशेष न्यायाधीश के पास प्रकरण होना चाहिए । जब पीड़िता स्वयं कह रही है तब तत्काल प्रभाव से गिरफ्तारी और न्यायलय में प्रस्तुत करना चाहिए । इसी तरह भ्रष्टाचार के मामले में रिश्वत लेते पकड़ा गया है तत्काल जेल भेजने के साथ सरकारी नौकरी की समाप्ति के साथ सारी सम्पत्ति जप्त करना चाहिए ।