78 वर्षीय दिव्यांग की विकलांग पेंशन बनी सहारा (सफलता की कहानी)


 

   


दतिया |  जिले के ग्राम करारी खुर्द के रहने वाले 78 वर्षीय दिव्यांग छोटेलाल परिहार आज किसी के मोहताज नहीं हैं। छोटेलाल परिहार के बुढ़ापे का एकमात्र सहारा सरकार की ओर से मिलने वाली विकलांग पेंशन बनी हुई है। विकलांग पेंशन के जरिए उनकी गुजर-बसर अच्छी तरह चल रही है।
    जन्म के बाद से ही छोटेलाल के धड़ के नीचे का हिस्सा बेकार हो गया था। जब तक उनके माता-पिता जीवित रहे, उन्होंने ही छोटेलाल की देखभाल की। लेकिन वर्षों पहले छोटेलाल के माता-पिता गुजर चुके हैं और उनके गुजरने के बाद से ही विकलांग पेंशन उनका सहारा बनी हुई है और आज वह उसी के बल पर गुजर-बसर कर रहे हैं।
    सरकार ने रहने के लिए छोटेलाल को इंदिरा आवास कुटीर भी दे दिया था, जिसमें वह आराम से रह रहे हैं। उन्हें एक ट्राईसाइकिल भी दे दी गई थी, जिससे वह गांव में जिसके पास जाना चाहते हैं, चले जाते हैं। दोनों पैरों से विकलांग होने के बावजूद छोटेलाल आज किसी के मोहताज नहीं हैं।
    सरकारी योजनाओं का बखूबी लाभ पा रहे छोटेलाल निश्चिंत होकर कहते हैं, '' माता-पिता नहीं रहे, लेकिन सरकारी योजनाओं ने सहारा दे दिया। आज अच्छी तरह उनकी गुजर-बसर हो रही है।'' गांव के सरपंच प्रतिनिधि श्री मुकेश यादव बताते हैं कि छोटेलाल को नियमित रूप से पेंशन दी जा रही है। उन्हें आवास कुटीर भी दिया गया है। उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिला है। आज उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है।