मिश्रित खेती कर दोहरा लाभ प्राप्त कर रहें कृषक सुरेश धाकड़ (खुशियों की दास्तां)
मुरैना | 


 

     कैलारस विकासखण्ड के ग्राम खिरी निवासी सुरेश पुत्र शंकर लाल धाकड़ ने कृषि विभाग की आत्मा योजना के द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर मात्र 2 हेक्टेयर भूमि से मत्स्य पालन एवं मिर्ची का उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन गये है। यह सब कृषि विभाग की आत्मा योजना के द्वारा साकार हुआ है। 
    ग्राम खिरी निवासी सुरेश धाकड़ ने बताया कि मेरे पूर्वजों की पैतृक भूमि मात्र 2 हेक्टेयर मेरे हिस्से में मुझे प्राप्त हुई। जिसमें मैं परंपरागत खेती किया करता था। परंपरागत खेती में सरसों, गेहूं या दलहनी कोई भी फसल उगाकर बच्चों का पेट पालन करता था, किन्तु इतनी सीमित भूमि होने के कारण मैं ठीक तरह से परिवार का पालन-पोषण नहीं कर पा रहा था। मेरे लिये 2 हेक्टेयर भूमि से होने वाली पैदावार परिवार की गृहस्थी चलाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। आये दिन मैं सोचता था कि खेती के अलावा और क्या भी कर सकता हूं। एक दिन कृषि विभाग की कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम, आत्मा द्वारा प्रशिक्षण में शामिल हुआ तो मुझे बी.टी.एम श्री जयदीप भदौरिया द्वारा बताया गया कि सभी कृषक अपनी खेती को खेती से संबंधित धंधे जैसे पशुपालन, मुर्गीपालन, मछलीपालन, मधुमक्खी पालन, उद्यानिकी फसलें आदि को अपने फार्म पर अपनाकर अपने फार्म से फसलों के साथ-साथ अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आप खेती की नई-नई तकनीयिों के ज्ञान के लिए विकासखण्ड स्तर पर पदस्थ बी.टी.एम. व ए.टी.एम. से समय-समय पर सम्पर्क कर जानकारी ले सकते हैं, तब मैं कृषि विभाग के विशेषज्ञ श्री सीताराम करौरिया से मिला और मैंने खेती के साथ अपने फार्म पर दूसरा नया उद्योग, धंधा करके अधिक लाभ कमाने के लिये सहमति दी। उन्होंने मेरे खेत का निरीक्षण कर मुझे खेती के साथ मछली पालन व उद्यानिकी फसलें उगाने की सलाह दी। जिससे कि मुझे फार्म से वर्ष भर आय प्राप्त हो सके और मैंने उनके मार्गदर्शन से अपने खेत पर तालाब बनाकर मछली पालन प्रारम्भ किया।
    मैं मछलियों में कतला व रोहू किस्म की मछलियों का पालन करता हूं और उन्हें बाजार में बेचकर खेती के अलावा अतिरिक्त आय प्राप्त करता हूं तथा विशेषज्ञ द्वारा मैंने अपने फार्म पर किचन गार्डन के रूप में घरेलू आवश्यकतानुसार टमाटर, मिर्ची, धनिया एवं प्याज लगाकर बाजार पर निर्भर नहीं हूं। मुझे अपने परिवार के लिए वर्ष भर सब्ज़ीयों मिलती रहती हैं। विशेषज्ञ द्वारा बताई गई खेती की नई-नई तकनीनियों को मैंने अपनाकर मेरी भूमि व मेरे पास उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग किया है। और मेरी आर्थिक दशा भी पहले की अपेक्षा अच्छी हो गई है।