सीकर. नागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली में हुई हिंसा में गोली लगने से जान गंवाने वाले हेडकांस्टेबल रतनलाल बारी का शव दो दिन बाद बुधवार को सीकर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव तिहावली पहुंचा। शव देखकर हर किसी की आंखें नम हो गई। रतनलाल की 70 वर्षीया मां संतरा देवी से अब तक बेटे की मौत की खबर को छिपा रखा था। वह भी बेटे रतनलाल के शव को देखकर बिलख पड़ी। वहीं, रतनलाल की पत्नी पूनम का हाल बेहाल है। वह बार बार बेसुध होती रही।
ऐसे में मां पूनम का सहारा बनी रतनलाल की दोनों मासूम बेटियां 12 साल की बेटी सिद्धि, 10 साल की बेटी कनक। दोनों बच्चियां पहले खुद रोती रही। फिर मां के बेसुध होकर गिरने पर उन्हें संभालने लगी। वे मां को होश में लाने के लिए अपने नन्हें नन्हें हाथों से उनकी हथेलियां रगड़ती रही। इस दृश्य को आसपास मौजूद परिवार की जिस भी महिला ने देखा। वे खुद भी अपने आंसू रोक नहीं सके।
वहीं, रतनलाल का सबसे छोटा 7 साल का बेटा राम पूरे माहौल में अपनी मां पूनम के पास बैठा रहा। पूनम जब भी होश में आती सिर्फ इतना ही कहती कि वे मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे अकेला कैसे छोड़ गए। साथ लेकर क्यों नहीं गए। इससे माहौल और गमजदा हो गया।
तीन दिन पहले मनाई थी शादी की वर्षगांठ, होली पर गांव आने का किया था वादा
जानकारी के अनुसार हेडकांस्टेबल रतनलाल की रविवार को दिल्ली के जाफराबाद में ड्यूटी के दौरान हिंसा में मौत हो गई थी। इसके तीन दिन पहले ही रतनलाल और उनकी पत्नी पूनम ने अपनी शादी की 13 वीं वर्षगांठ मनाई थी। इसी तरह, परिजनों से जानकारी में सामने आया कि शादी की वर्षगांठ के दिन रतनलाल ने फोन कर गांव में मौजूद अपनी मां संतरा देवी और छोटे भाई दिनेश से बातचीत की थी।
जिसमें उन्होंने होली के दिन छुट्टी लेकर गांव आने की बात कही थी। लेकिन इसके पहले ही उनकी मौत हो गई। हेडकांस्टेबल रतनलाल 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। वर्तमान में उनकी तैनाती गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी ऑफिस में थी। रविवार को बुखार होने के बावजूद भी वे ड्यूटी पर पहुंचे थे।
तीन भाईयों में सबसे बड़े थे, ढाई साल पहले हुई थी पिता की मौत
ग्रामीणों ने बताया कि करीब ढाई साल पहले ही रतनलाल के पिता बृजमोहन बारी की मौत हुई थी। तीन भाईयों में रतनलाल सबसे बड़े थे। उनका एक छोटा भाई दिनेश गांव में ही खेतीबाड़ी और गाड़ी चलाकर परिवार का पेट भरता है। वहीं, एक अन्य छोटा भाई रमाकांत बैंगलोर में रहकर निजी कामकाज करता है। परिवार की मजबूत कड़ी सिर्फ रतनलाल ही थे। उनकी मौत से अब वह कड़ी भी टूट गई।